कंक्रीट की सुकार्यता
( Workability of Concrete )
नमस्कार दोस्तों The Civil Construction
के इस नये आर्टिकल
में आपका स्वागत करता हूँ।
जो कि Workability of concrete के बारे में है ।
हमारे इस आर्टिकल का हिस्सा बनने के लिए
मैं
Akash आपका आभार प्रकट करता हूँ ।
आज
हम Workability of concrete(कंक्रीट की सुकार्यता)
के बारे में बात
करने वाले है ।
( Workability of Concrete) :-
सुकार्यता या सुकरता कंक्रीट का वह भौतिक गुण है , जिसके कारण सुघट्य कंक्रीट
बगैर पृथक्करण ( Scgregation ) अथवा नि : स्रवण ( Bleeding ) के ,
कार्यस्थल पर
आसानी से बिछायी व कुटी जा सके ।
कंक्रीट को सुघट्य बनाने के
लिये इसके शुष्क संघटकों में पानी मिलाना होता है ।
सीमेट की जलयोजन क्रिया
भी पानी की उपस्थिति में सम्पन्न होती है । परन्तु पानी की
मात्रा इतनी
उपयुक्त होनी चाहिये कि कंक्रीट सरलता से बनायी जा सके और इसके
हस्तन (हाथ से बिछाना) ,
बिछाने व कुटाई में कोई दिक्कत न आये । इसके साथ यह
भी आवश्यक हैं कि पानी
की मात्रा इतनी अधिक भी न हो कि कंक्रीट की सामर्थ्य प्रभावित
हो जाये ।
सभी कंक्रीटन क्रियाओं में कंक्रीट की समांगता ( Hormogeneity ) बनी रहनी
चाहिये।
ऐसी कंक्रीट सुकर कहलाती है।
एक कंक्रीट जो आसानी से बहने लगे ,
आवश्यक नहीं कि सुकर भी हो । सुकर कंक्रीट में
परिभाषा –
सुकरता ( या सुकार्यता ) गोली कंक्रीट का एक
महत्त्वपूर्ण भौतिक गुण है । इसे परिशुद्धता से इस प्रकार परिभाषित किया जा
सकता है कंक्रीट के पूर्ण संहनन के लिये आवश्यक आन्तरिक कार्य , कंक्रीट
की सुकार्यता कहलाता है ।
' ' IS 6461 ( भाग VII ) के अनुसार सुकार्यता ताजी ( गीली ) कंक्रीट ( अवा मसाले ) का वह गुण हैं , जिसके होते यह आसानी व सघनता - समांगता से मिलायी ( Mixing ) , बिछायो ( Placing ) . कूटी ( Compaction ) जा सके तथा इसकी परिष्कृति ( Finishing ) की जा सके।
कंक्रीट की सुकार्यता व सामर्थ्य , इसके दो महत्त्वपूर्ण गुण हैं ,
परन्तु यह
दोनों एक दूसरे के विपरीत है ।
कंक्रीट की सुकार्यता बढ़ने पर अर्थात अधिक
पानी मिलाये जाने पर , इसकी सामर्थ्य घटती है और सुकार्यता घटाने पर ,
कंक्रीट की सामर्थ्य बढ़ती है ।
सीमेंट की जलयोजन क्रिया के लिये , इसके
भार का 25 - 30 % पानी ही पर्याप्त है । परन्तु ,यह मात्रा इतनी कम रह
जाती है कि कंक्रीट में संघटको का भली - भाँति मिश्रण नहीं हो पाता है और
कंक्रीट काफी सख्त रह जाती है,
जिसके कारण इसके बिछाने व कुटाई करने में
दिक्कत । आती हैं । कंक्रीट की पूर्ण कुटाई न होने पर इसमें हवा के बुलबुले
रह जाते हैं और कंक्रीट की सामर्थ्य प्रभावित होती है ।
ऐसी कंक्रीट
सुकर या सुकार्य नहीं होती है । जब उसे सुकर बनाने के लिये अतिरिक्त पानी
मिलाया जाता है , तो यह पानी जलयोजन क्रिया में कोई भाग नही लेता है । और
वाष्पीकृत होने पर कंक्रीट पिण्ड में रन्ध्र छोड़ जाता है फलस्वरुप
कंक्रीट की सामर्थ्य घट जाती है ।
Types of Workability of Concrete:-
Types of Workability of Concrete:-
कंक्रीट की कार्यशीलता को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:-
Unworkable Concrete (अवर्णनीय कंक्रीट)
Medium Workable concrete ( मध्यम व्यावहारिक कंक्रीट)
Highly Workable Concrete(अत्यधिक व्यावहारिक कंक्रीट)
Unworkable Concrete (अवर्णनीय कंक्रीट)
एक अवर्णनीय कंक्रीट जिसे कठोर कंक्रीट के रूप में भी जाना जाता है, एक कंक्रीट
है जिसमें बहुत कम मात्रा में पानी होता है। ऐसे कंक्रीट का हाथ मिलाना मुश्किल है।
इस तरह के कंक्रीट में समुच्चय का उच्च अलगाव होता है। और कंक्रीट मिश्रण की
समरूपता को बनाए रखना बहुत मुश्किल है।
Medium Workable concrete ( मध्यम व्यावहारिक कंक्रीट)
अधिकांश निर्माण कार्यों में मध्यम व्यावहारिक कंक्रीट का उपयोग किया जाता है। यह अलगाव मिश्रण, परिवहन, जगह और कॉम्पैक्ट के लिए बहुत ही अलगाव और समरूपता के नुकसान के बिना अपेक्षाकृत आसान है।
Highly Workable Concrete(अत्यधिक व्यावहारिक कंक्रीट)
इस प्रकार का कंक्रीट मिश्रण, परिवहन, स्थान और कॉम्पैक्ट के लिए बहुत आसान है। इसका उपयोग किया जाता है जहां कंक्रीट का प्रभावी संघनन संभव नहीं है। समस्या यह है कि अत्यधिक काम करने योग्य कंक्रीट में अलगाव की संभावना और नुकसान की संभावना अधिक है।
उम्मीद करता हु यह आर्टिकल आपसभी को अच्छा लगा होगा और आपने बहुत सी जानकारीभी प्राप्त की होगी ।किसी भी सुझाव के लिए निचे दिए Comment Box में Comment करे और अधिक से अधिक शेयर करेधन्यवाद,जय हिन्द
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